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“अातंक फैलाने से क्या होगा ?”

अातंक फैलाने से क्या होगा ?
कुछ लहु गिरेगा-धुँआ उठेगा
दहशत से हमे डरा पाअोगे
हम जैसे हैं- वैसा पाओगे।

खेल मौत का जो तुम खेलोगे
उस पर दहशत तुम भी झेलोगे
फिर लुक-छिप कर जीवन बीतेगा
कब तक ऐसा कर बचे रहोगे?

जो बचा, मुर्दे से कम न होगा
जब मर गये,फिर क्या पाओगे
हम हैं संयम से खैर मनाओ
उठे अगर तुम मारे जाओगे।

रिश्ते सरहद पर दम तोडेंगे
बारूद चलेगा लोग मरेंगें
लाशों पर खडे अमन चाहोगे
क्या उग्रवाद से क्रान्ति लाओगे?

हों जड़ जहरीली सब काटेंगे
अपने आंगन कैसै पालेंगे
तुमने पाला फल भी पाओगे
बबूल समेट कर क्या चाहोगे ?

मन मंथन करता जो तुम्हारा
मस्तिक सुन्न हो गया तुम्हारा
जब सब रिश्तों से किया किनारा
फिर आका कैसे हुआ तुम्हारा ?

तू बकरे सा बंधन मे होगा
आका को सुन्दर लगता होगा
उधार साँस तुझे आका देगा
वो खेल मौत का क्यों रोकेगा ?

खिलौना समझ, मन भर खेलेगा
हुक्म भी देगा,मौत भी देगा
दर-दर भटके या मर जाये तू
क्या खोये आका,जो रोयेगा ?

मान मेरी मन मोड़ के देखो
ये हथियार अब छोड़ के देखो
ममता की अलख जगा कर देखो
क्यों बे मौत मरे,कुछ तो समझो।

रोता आया,रोता जायेगा
क्या लाया था,जो ले जायेगा ?
जितना चाहा जो मिल जायेगा
उस लोक बता कितना जायेगा ?

कुछ पे्म गीत तुम गा कर देखो
दीप संग दीप जला कर देखो
मक्सद जीवन का माँ से सीखो
अन्तिम सत्य शमशान मे देखो ।

मानव जन्म मिला,अति उत्तम था
क्यों शैतान पालता अन्दर था
बस मार उसे जग तेरा होगा
आँतक फैलाने से क्या होगा ?

 

Bijender Singh Bhandari, First Hindi Blogger on WEXT.in Community is retired Govt. Employee born in 1952. He is having a Great Intrest in Writing Hindi Poems.

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    Yogesh Vasudeva
    Yogesh Vasudeva
    7 years ago

    Very Nice Dad

    Mumtaz parvee
    Mumtaz parvee
    Reply to  Yogesh Vasudeva
    7 years ago

    Superb poetry uncle.. true and touching…

    Mumtaz parveen
    Mumtaz parveen
    Reply to  Yogesh Vasudeva
    7 years ago

    Superb poetry uncle.. true and touching…

    Roshni
    Roshni
    7 years ago

    Great papa…

    Roshni
    Roshni
    7 years ago

    We proud of you papa.. Very nice poem

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